केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बीआर आंबेडकर के बारे में दिए गए बयान के बाद देशभर में राजनीतिक विरोध तेज हो गया है। शाह के बयान को लेकर कांग्रेस ने आज देशव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित किया है, जिसमें बीजेपी सरकार से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की जा रही है।
कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि अमित शाह का बयान समाज के विशेष वर्गों को असंवेदनशील तरीके से निशाना बनाने के लिए था, और इसे उनकी राजनीति का हिस्सा बताया। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस बयान को ऐतिहासिक तथ्यों और समाज के दलित वर्ग की सम्मानजनक छवि के खिलाफ करार दिया।
विपक्षी दलों ने भी इस बयान को लेकर बीजेपी सरकार को घेरने का प्रयास किया है। उनका कहना है कि यह बयान जातिवाद को बढ़ावा देने वाला है और इससे समाज में नफरत और विभाजन की भावना पैदा हो सकती है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हुए अमित शाह पर दबाव बनाने की कोशिश की है।
कांग्रेस के अध्यक्ष ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बीआर आंबेडकर जैसे महापुरुषों के योगदान और उनके सिद्धांतों को गलत तरीके से प्रस्तुत करना देश की एकता और अखंडता के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इस तरह के बयानों से समाज में नफरत फैलाने का काम किया जा रहा है।
वहीं, बीजेपी ने अमित शाह के बयान का बचाव किया और कहा कि उन्होंने किसी को भी आहत करने की कोई मंशा नहीं जताई थी। पार्टी ने विपक्षी दलों के विरोध को राजनीतिक विरोधाभास और सरकार को अस्थिर करने की कोशिश बताया।
यह विवाद तब बढ़ा, जब अमित शाह ने एक कार्यक्रम में बीआर आंबेडकर के योगदान को लेकर कुछ टिप्पणी की, जिसे कई विपक्षी दलों ने विवादास्पद और असंवेदनशील माना। हालांकि, बीजेपी सरकार और पार्टी के नेताओं ने यह स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य आंबेडकर के योगदान को सही तरीके से प्रस्तुत करना था, और किसी भी तरह से उनके सम्मान को कम करना नहीं था।
इस बयान के बाद, देशभर में राजनीतिक उबाल देखा जा रहा है, और अब यह मामला आगामी चुनावों में भी एक प्रमुख मुद्दा बन सकता है।