बिहार फुटबॉल संघ (Bihar Football Association) सचिव के खिलाफ बगावत, 57 साल से बाप-बेटे के पास है सचिव पद : Jansagar News Bihar EXCLUSIVE
पटना, 8 नवंबर 2024: बिहार फुटबॉल संघ के सचिव इम्तियाज हुसैन के खिलाफ बिहार के 38 जिलों के फुटबॉल संघ के सचिवों ने संयुक्त मोर्चा खोल दिया है। इन फुटबॉल संघों के सचिवों ने राज्य के खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता को एक आवेदन सौंपते हुए इम्तियाज हुसैन के कार्यकाल में होने वाली अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
इन सचिवों का आरोप है कि इम्तियाज हुसैन ने अवैध तरीके से बिहार फुटबॉल संघ के सचिव पद पर कब्जा किया है और फुटबॉल संघ में अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके साथ ही, उन्होंने बिहार के विभिन्न जिलों में फुटबॉल संघों के सचिव पदों पर अपने करीबी लोगों को नियुक्त किया है, जबकि वे खुद किसी भी जिले के सचिव नहीं हैं।
मुख्य आरोप
1. अवैध चुनाव प्रक्रिया और भ्रष्टाचार
सचिव पद की नियुक्ति को लेकर आरोप है कि इम्तियाज हुसैन ने अवैध तरीके से चुनाव कराए, जिनमें कई नियमों का उल्लंघन हुआ। इन चुनावों के बाद हुसैन खुद को बिहार फुटबॉल संघ का सचिव बना बैठे, जबकि उनके पास किसी भी जिले के सचिव पद के लिए आवश्यक वैध दस्तावेज़ तक नहीं हैं। उनका दावा है कि वे किशनगंज जिले के सचिव हैं, लेकिन न तो उनका कोई दस्तावेज़ है, न ही उन्हें किसी अन्य जिले से कोई अधिकार प्राप्त है।
2. पारिवारिक सत्ता का प्रभाव
इम्तियाज हुसैन के परिवार का फुटबॉल संघ पर लंबे समय से प्रभाव रहा है। उनके पिता, जो 1966 से 2010 तक बिहार फुटबॉल संघ के सचिव रहे थे, के बाद अब उनका बेटा, इम्तियाज हुसैन, 2011 से लगातार सचिव पद पर काबिज हैं। आरोप है कि उन्होंने फुटबॉल संघ को अपनी पारिवारिक संपत्ति की तरह चला रखा है और इस वजह से संघ का विकास रुक गया है।
3. मनमानी पंजीकरण और क्लबों के साथ भेदभाव
आरोप है कि इम्तियाज हुसैन ने कई फुटबॉल क्लबों का पंजीकरण मनमानी तरीके से रोका। खासकर रोहतास जिले के प्रमुख फुटबॉल क्लबों जैसे त्रिभुवन स्पोर्ट्स क्लब, दरिहत फुटबॉल क्लब, कोचस फुटबॉल क्लब, शनिवार फुटबॉल क्लब और अन्य ने बार-बार पंजीकरण के लिए आवेदन किए, लेकिन उन्हें अवैध कारणों से नकारा गया। आरोप है कि इन क्लबों से अधिक पैसे की मांग की गई और उनका पंजीकरण जानबूझकर नहीं किया गया।
4. संतोष ट्रॉफी और राष्ट्रीय कैंप में पक्षपाती चयन
इम्तियाज हुसैन पर यह भी आरोप है कि वे बिहार की संतोष ट्रॉफी टीम और राष्ट्रीय फुटबॉल कैंपों में चयन प्रक्रिया में पक्षपाती होते हैं। वे केवल अपने करीबी खिलाड़ियों को ही इन टीमों में शामिल करते हैं, जिससे राज्य की फुटबॉल टीम का स्तर प्रभावित होता है।
खेल मंत्री से मुलाकात और आंदोलन की शुरुआत
रोहतास जिले के फुटबॉल संघ के सचिव सुरेंद्र सिंह और उपसचिव राहुल सिंह ने 38 जिलों के फुटबॉल संघों के साथ मिलकर खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता से मुलाकात की और अपनी शिकायतें उन्हें सौंपीं। इसके बाद, इन सचिवों ने पटना में 24 नवंबर 2024 को मौर्य होटल में एक आपात बैठक बुलाने का निर्णय लिया है, जिसमें इम्तियाज हुसैन को आजीवन निलंबित करने के विषय पर चर्चा की जाएगी।
अगला कदम
यह बैठक बिहार फुटबॉल संघ के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। 38 जिलों के फुटबॉल संघ के सचिव इस बात पर जोर दे रहे हैं कि अगर इम्तियाज हुसैन के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो बिहार में फुटबॉल का स्तर और भी नीचे चला जाएगा। इसके लिए खेल मंत्री, बिहार सरकार और फुटबॉल संघ के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों से जल्द ही कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।
रोहतास फुटबॉल संघ की स्थिति
रोहतास जिले में कई प्रमुख फुटबॉल क्लब हैं, जो वर्षों से फुटबॉल खेल के प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं। हालांकि, इम्तियाज हुसैन की मनमानी के कारण इन क्लबों को कई बार पंजीकरण में दिक्कतों का सामना करना पड़ा है, जो कि इन क्लबों के लिए एक बड़ा आर्थिक और प्रशासनिक संकट बन चुका है।
इन फुटबॉल संघों के सचिवों का कहना है कि अगर तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, तो न केवल बिहार का फुटबॉल विकास रुक जाएगा, बल्कि राज्य में फुटबॉल का भविष्य भी संकट में पड़ जाएगा।
संघ के भविष्य के लिए मांग
इन घटनाओं से साफ प्रतीत होता है कि बिहार फुटबॉल संघ में सुधार की आवश्यकता है। फुटबॉल के विकास के लिए एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रशासनिक प्रणाली का निर्माण करना बेहद जरूरी है, ताकि राज्य के सभी क्लबों को समान अवसर मिल सकें और फुटबॉल के खेल का स्तर उच्चतम बन सके।
-Ratnesh Raman Pathak