सबसे बड़ा सवाल ! Sasaram सीट पर किससे-किसकी होगी भिडंत ?
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Sasaram संसदीय सीट सुरक्षित तो है लेकिन इस सीट पर उम्मीदवारी के लिए गोलबंद प्रत्याशियों की टिकट असुरक्षित दिख रही है.इस सीट पर सातवें चरण में 01 जून को वोटिंग होना है.लेकिन किसी भी दल का कोई भी नेता स्पष्टता से यह कहते हुए नहीं दिख रहा है कि सीट किस उम्मीदवार के खाते में जाएगी.
सदियों से यह सीट कांग्रेस पार्टी की परंपरागत सीट रही है,सासाराम सीट से जगजीवन बाबु लगातार आठ बार निर्वाचित हुए . अपने ४० वर्षों से अधिक के संसदीय कार्यकाल में वह केंद्र में श्रम मंत्री,संचार मंत्री,परिवहन और रेलवे मंत्री,कृषि मंत्री,रक्षा मंत्री,सिचाई मंत्री के साथ साथ देश के उप-प्रधानमंत्री जैसे पद पर बने रहे. उनके बाद इसी सीट से उनकी पोती मीरा कुमार ने भी सफलता पाई और लोकसभा की प्रथम महिला अध्यक्ष जैसे पद की गरिमा बढाती रहीं.
Ex. Loksabha Speaker Meira Kumar 2014 और 2019 की चुनाव सासाराम सीट से हार गईं थी. अब 2024 में मीरा कुमार के उम्मीदवारी को लेकर सबके मन में संसय है.उनकी बढती उम्र का हवाला देकर कांग्रेस कार्यकर्ता कहते हैं कि अब उन्हें चुनाव नहीं लड़ना चहिये.
लगातार दो बार से मीरा कुमार को हराने वाले भाजपा सांसद छेदी पासवान/ BJP MP Chhedi Paswan के उम्मीदवारी पर भी लोगों को शक है.इसके पीछे दो तीन वजह बताई जा रही है. चेनारी विधानसभा से विधायक रहे ललन पासवान पिछले वर्ष भाजपा में शामिल हुए,जिसके बाद से चर्चा शुरू हुई की अब सासाराम से ललन पासवान को भाजपा उम्मीदवार बनाएगी.
अगियाव के पूर्व विधायक और पूर्व सांसद मुनिलाल राम के बेटे शिवेश राम की चर्चा भी हर चुनाव की तरह इसबार भी जोरो पर होने लगी है.भाजपा का एक बड़ा गुट शिवेश राम के उम्मीदवारी को मजबूती से प्रस्तुत करने में जुटा है. कुछ ही दिन पूर्व बिहार सरकार में मंत्री रहे मुरारी गौतम ने कांग्रेस छोडकर भाजपा का दमन थाम लिया है,तब से भाजपा खेमे में इनके नाम की भी चर्चा खूब है.
NDA गुट के जमीनी कार्यकर्ता इन सभी प्रत्याशियों में बंटे हुए हैं. जिसका जिससे संबंध है,वह उसकी छवि को प्रस्तुत करने में लग गया है.लेकिन सबकी निगाहें बीजेपी के प्रत्याशी पर है.शायद अमित शाह और नरेन्द्र मोदी के अलावें यह किसी को नहीं पता की टिकट किसको मिलेगा ? जबतक बीजेपी अपना कैंडिडेट नहीं घोषित करता है तबतक कांग्रेस भी अपना पत्ता नहीं खोलेगी.
इनसबके बिच एक चर्चा और भी है.चर्चा यह है की छेदी पासवान और मीरा कुमार दोनों बुजुर्ग नेता अपने बेटों को सेट करना चाहते हैं.हालाकिं छेदी पासवान ने यह प्रयास पिछले पांच सालों से शुरू किया है लेकिन सफलता हासिल नहीं हो सकी है.इधर मीरा कुमार के बेटे अंशुल अभिजित को सेट होने में बहुत तकलीफ नहीं है लेकिन खानदानी सीट सासाराम से अंशुल उम्मीदवार नहीं हो सकते हैं. कुछ कार्यकर्ताओं का यह भी कहना है की अगर सासाराम से मीरा जी प्रत्याशी नहीं हुईं तो उनके बेटे को काराकाट या अन्य किसी सीट से कांग्रेस टिकट देगी.
लेकिन तरह तरह के अफवाहों और संभावनाओं का दौर जारी है.सबकुछ आने वाले कुछ दिनों में साफ़ होगा. लेकिन लाइन में लगे बीजेपी के भावी प्रत्याशी छेदी पासवान,ललन पासवान,मुरारी गौतम,शिवेश राम इत्यादि में चाहे जिसको भी टिकट मिले बाकि प्रत्याशियों द्वारा भितरघात की संभवाना बनी रहेगी.
-रत्नेश रमण पाठक