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Saturday, December 31, 2022

रोहतास में खाद का खेला: दर दर की ठोकरे खा रहे हैं किसान, कहीं कोई सुनवाई नहीं | Rohtas District |

रोहतास में खाद का खेला: दर दर की ठोकरे खा रहे हैं किसान, कहीं कोई सुनवाई नहीं | Rohtas District | Urea Crisis in Sasaram Bihar 

urea crisis in bihar fertilizer hoarding rohtas

District Administration Failed to Stop Urea Hoarding and Black Marketing in Rohtas

खाद की कालाबाजारी bihar के लिए नया नहीं नहीं है | लेकिन जब जब किसानों को खाद की जरूरते होती हैं,तमाम विभागीय आदेश, प्रशासनिक चौकसी धरा का धरा रह जाता है | किसान या तो महंगे दामों पर खाद खरीदते हैं या अपने व्यक्तिगत जुगाड़ पैरवी के बल पर खाद प्राप्त करते हैं |  



खाद बिक्री के समय कृषि विभाग और बड़े अफसरों के बयान अखबारों में चमकने लगते हैं | जिसे पढ़ कर किसान सोचता है की इसबार खाद उपलब्ध रहेगी और कोई समस्या नहीं होगी लेकिन जब खरीदने की बारी आती है तो अफसरों के अख़बारों वाले बयान से भरोसा उठ जाता है | 


बीते दस दिनों से जिला मुख्यालय के खाद दुकानों किसान चक्कर काट रहे हैं | कुछ भाग्यशाली किसानों को घंटों लाइन लगने के बाद खाद प्राप्त होता है तो सैकड़ो किसनों को वापस मायूस होकर लौटना पड़ता है | स्थानीय उर्वरक विक्रेता स्टॉक रहने के बाद भी किसानों को यह कहकर लौटा रहे हैं की खाद नहीं है | यह खेल जिले के अफसरों को भी पता है लेकिन जानबूझकर अनजान बने हुए हैं |


कल साल के आखिरी दिन भी सासाराम के बिस्कोमान किसान सेवा केंद्र पर सैकड़ों किसान खाद के लिए लाइन लगे हुए थे | सुबह से सबका आधार कार्ड लिया गया लेकिन दोपहर होते होते कुछ किसानों को उनका कागज वापस लौटाया जाने लगा | जिसपर मौजूद किसानों ने आक्रोश प्रकट किया | किसानों का कहना था कि उनका कागज रखा जाए,सोमवार को पुनः उन्हें सबसे पहले खाद दिया जाए फिर नए किसानों का नंबर लगे | इससे उन्हें फिर से लाइन लगने की फजीहत नहीं झेलनी पड़ेगी | लेकिन किसी ने कुछ नहीं सुना,सबको वापस कागज देकर भेज दिया गया |




31 दिसम्बर को कृषि पदाधिकारी द्वारा कुल 1157 उर्वरक विक्रेताओं और उनके स्टॉक का लिस्ट जारी किया गया है | लेकिन तोरनी के किसान राकेश राय का कहना है की इनमे से किसी भी प्राइवेट दुकान या pacs ने खाद उपलब्ध होने की बात नहीं स्वीकार किया है | सब कहते हैं की खाद बिक गया है | ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि, क्या खाद विक्रेताओं में विभाग का कोई भय नहीं है ? क्या यहसब प्रशसनिक मिलीभगत से हो रहा है ?

शिकायतों के बावजूद भी खाद दुकानों की स्टॉक जांच क्यूँ नहीं हो रही है ? उनके स्टॉक का भौतिक सत्यापन हो, स्टॉक रजिस्टर, POS मशीन इत्यादि हर बिन्दुओं पर जांच किया जाए तो कालाबाजारी करने वाले दूकानदार पकडे जाएंगे | लेकिन इतना सबकुछ करने की आवश्यकता किसी को महसूस नहीं हो रही है |

-- Ratnesh Raman Pathak 

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