रोहतास में हर साल 02 करोड़ का मछली बीज आता है बंगाल से, जिले में मात्र एक मत्स्य हैचरी | Agriculture Science Centre Bikramganj | Rohtas Hindi News | Bikramganj Nagar Parishad |
रोहतास जिले के बिक्रमगंज प्रखंड के अंर्तगत कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा छह दिवसीय उत्प्रेरक मत्स्य प्रजनन विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत मंगलवार को की गई। उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित मत्स्य वैज्ञानिक आर के जलज ने कहा की पूरे रोहतास जिले में मात्र एक मत्स्य हैचरी ही कार्यरत है। जिले में प्रत्येक वर्ष लगभग 2 करोड़ रुपए के मत्स्य बीज पश्चिम बंगाल से आता है।
मत्स्य बीज खासकर पंगास मछली की भारी मांग है। मत्स्य बीज हैचरी व्यवसाय की जिले में काफी संभावनाएं हैं। रोहतास जिले की जलवायु, मिट्टी एवं पानी मत्स्य पालन के साथ-साथ मत्स्य बीज उत्पादन के लिए भी उपयुक्त है। किसानों को इस क्षेत्र में आगे आना चाहिए। प्रशिक्षण के दौरान कृषकों को कार्प मछलियों के बीज उत्पादन की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। इस प्रशिक्षण के माध्यम से किसान कतला, रोहू, मृगल, कॉमन कार्प इत्यादि मछलियों को सुई लगाकर कृत्रिम प्रजनन द्वारा बीज उत्पादन कर सकते हैं।
मछलियों का प्रजनन काल सामान्यतः मानसून महीना ही होता है। इसी मौसम में कृत्रिम प्रजनन तकनीक के अनुसार मछलियों के शरीर में सुई द्वारा निश्चित मात्रा में हार्मोन दवा देकर प्रजनन कराया जाता है। इसके लिए इको कार्प मत्स्य हैचरी, ब्रूडर तालाब एवं नर्सरी तालाब की जरूरत पड़ती है। जिसका लागत लगभग 10 लाख रुपये आता है। इसकी स्थापना हेतु राज्य सरकार द्वारा 40 से 60% अनुदान दिया जाता है।
कार्यक्रम में उपस्थित उद्यान वैज्ञानिक डॉ रतन कुमार ने समेकित मत्स्य पालन की जानकारी विस्तृत रूप से दी। उनके अनुसार 1 एकड़ क्षेत्रफल में समेकित मत्स्य पालन द्वारा किसान कम से कम ₹1.5 से 2 लाख रुपए की शुद्ध आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। जिले के विभिन्न प्रखंडों से 25 कृषकों ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोगी हरेंद्र प्रसाद शर्मा, अभिषेक कुमार, प्रवीण कुमार, सुबेश कुमार उपस्थित रहे।
अजय भट-जनसागर न्यूज