मार्च महीने में विधानसभा के भीतर हुए विपक्षी विधायकों के साथ मारपीट मामले में दो सिपाहियों को सस्पेंड किया गया है।
आपको बता दें कि बीते 23 मार्च को एक विधेयक पारित करने पर विपक्ष के विधायकों ने स्पीकर का घेराव किया था।तब बाहर से पुलिस बुलाकर सदन के भीतर विपक्ष के विधायकों को पिटवाया गया था।
सभी विधायकों को पुलिस ने बड़े अधिकारियों के निर्देश पर पीटते हुए विधानसभा से बाहर किया था।कई विधायक को चोटें भी आईं थी।
इस मारपीट की तस्वीरें और वीडियो फुटेज पूरे देश भर में शेयर किए जा रहे थे।नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने विधानसभा अध्यक्ष से इस घटना के जाँच की मांग की थी।उन्होंने कई बार इस मसले को उठाया था और कहा था कि जबतक इस मामले के दोषियों पर कार्यवाही नहीं होगी,तबतक हमारे विधायक मॉनसून सत्र में भाग नहीं लेंगे।
माना जा रहा है कि इसी अल्टीमेटम के बाद यह कार्यवाई हुई है और दो सिपाहियों को निलंबित किया गया है।
जबकि विपक्ष के विधायकों ने बताया कि सरकार इस गम्भीर मामले की लिपापोती कर रही है।सिर्फ रश्म अदायगी के लिए दो सिपाहियों को बलि का बकरा बनाया गया है।असली दोषियों को बचाया जा रहा है।
*रोहतास के कांग्रेस विधायक संतोष मिश्रा भी हुए थे चोटिल*
उक्त मारपीट में रोहतास जिले के करगहर क्षेत्र से कांग्रेस विधायक संतोष मिश्रा को भी चोट लगी थी।उन्हें एक अधिकारी ने पीटते हुए विधानसभा से बाहर किया था।सबसे ज्यादा उनके साथ की गई मारपीट की वीडियो ही वायरल हुई थी।
दो सिपाहियों को सस्पेंड करने के मामले पर उन्होंने कहा कि "क्या सिर्फ दो सिपाहियों ने हमें और हमारे साथियों को पीटते हुए बाहर कर दिया था? क्या यह संभव है कि दो आदमी 50 से अधिक विधायकों को बाहर निकाल सकता है?"
उन्होंने कहा कि यह सरकार सिर्फ दिखावा कर रही है।विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री यह बताएं कि किसके आदेश से पुलिसकर्मी विधानसभा में घुसे थे? उन्होंने किसके आदेश का पालन करते हुए सदन के सदस्यों के साथ मारपीट किया था?
यहसब जाँच कर साफ करे सरकार।खानापूर्ति से जान नहीं बचेगा।उस 23 मार्च को विधानसभा शर्मशार हुआ था।इसके लिए इतिहास मौजूदा मुख्यमंत्री को कभी माफ नहीं करेगा।